जब भी हम राजस्थान की बात करते है, अक्सर मन में एक तस्वीर बन जाती है, जिसमें है रेगिस्तान, किले, महल और मेले| लेकिन राजस्थान गड है कई शानदार और प्रकृतिमनोहर मंदिरो का|
यहां हम आपको राजस्थान के प्रमुख शहरों में स्थित प्रसिद्ध मंदिरों की जानकारी दे रहे हैं।
राजस्थान के प्रमुख शहरों के प्रसिद्ध मंदिर
a.) जयपुर के प्रसिद्ध मंदिर
जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। माना जाता है कि यहां की मूर्ति स्वयं वृंदावन से लाई गई थी। भक्तगण यहाँ दर्शन मात्र से ही स्वयं को धन्य मानते हैं।
अरावली की पहाड़ियों पर स्थित यह प्राचीन मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है। यहां बाल रूप में गणेश जी की दुर्लभ मूर्ति विराजमान है।
3. बिरला मंदिर
शुद्ध सफेद संगमरमर से निर्मित यह मंदिर लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। इसकी आधुनिक वास्तुकला और शांति भरा वातावरण भक्तों को आकर्षित करता है।
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b.) पुष्कर के प्रसिद्ध मंदिर
यह मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है और यह भारत के गिने-चुने ब्रह्मा मंदिरों में से एक है। पुष्कर झील के समीप स्थित यह मंदिर धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
2. वराह मंदिर
भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित यह मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां विष्णु जी की मूर्ति वराह रूप में स्थापित है, जो राक्षस हिरण्याक्ष का वध कर पृथ्वी को बचाते हैं। मंदिर का शांत वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
3. अतिेश्वर महादेव मंदिर
यह प्राचीन शिव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पुष्कर झील के समीप स्थित है। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। मंदिर की शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा ध्यान करने वालों के लिए विशेष आकर्षण है।
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c.) बीकानेर के प्रसिद्ध मंदिर
देशभर में “चूहों वाले मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर देवी करणी माता को समर्पित है। मंदिर परिसर में हजारों काले चूहे खुलेआम घूमते हैं और इन्हें पवित्र माना जाता है। यहां सफेद चूहा देखना शुभ माना जाता है। यह मंदिर देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
2. भांडाशाह जैन मंदिर
15वीं शताब्दी में बना यह मंदिर भगवान सुमतिनाथ (जैन धर्म के 5वें तीर्थंकर) को समर्पित है। मंदिर की दीवारों और छतों पर की गई नक्काशी, सोने और चूने से बनी चित्रकारी इसे बेहद आकर्षक बनाती है। यह बीकानेर की प्राचीन जैन स्थापत्य कला का उत्तम उदाहरण है।
3. लक्ष्मीनाथ मंदिर
बीकानेर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक, यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इसकी स्थापना बीकानेर के संस्थापक राव बीका ने की थी। मंदिर की संरचना राजस्थानी स्थापत्य कला की झलक देती है और यहां हर वर्ष अनेक धार्मिक आयोजन होते हैं।
d.) जोधपुर के प्रसिद्ध मंदिर
1. चामुंडा माता मंदिर
मेहरानगढ़ किले की दीवारों पर स्थित यह मंदिर देवी चामुंडा को समर्पित है। माना जाता है कि मारवाड़ के राजघराने की कुलदेवी चामुंडा माता थीं। नवरात्रि में यहां भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर से जोधपुर शहर का विहंगम दृश्य भी देखा जा सकता है।
2. महालक्ष्मी मंदिर
यह मंदिर जोधपुर के बीचों-बीच स्थित है और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। दिवाली के समय यहां विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है। मंदिर का वातावरण भक्तिमय होता है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
3. राणी भटियाणी मंदिर, जसोल (जोधपुर ज़िले के अंतर्गत)
यह मंदिर राणी भटियाणी (जिसे लोकदेवी भी माना जाता है) को समर्पित है। लोककथाओं और आस्था से जुड़ा यह मंदिर विशेष रूप से महिलाओं के बीच प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं।
e.) उदयपुर के प्रसिद्ध मंदिर
1. जगदीश मंदिर
उदयपुर के सिटी पैलेस के पास स्थित यह भव्य मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 1651 में महाराणा जगत सिंह द्वारा बनवाया गया यह मंदिर इंडो-आर्यन शैली की वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है। इसकी ऊँची सीढ़ियाँ, भव्य शिखर और पत्थर की नक्काशी इसे दर्शनीय बनाती हैं।
2. एकलिंगजी मंदिर
उदयपुर से लगभग 22 किमी दूर कैलाशपुरी में स्थित यह मंदिर भगवान शिव के एकलिंग रूप को समर्पित है। यह मंदिर मेवाड़ के राजपरिवार की आराधना स्थली है और यहाँ की चारमुखी शिवलिंग विशेष रूप से पूजनीय है। यह स्थान धार्मिक आस्था और शांत वातावरण से भरपूर है।
3. नाथद्वारा श्रीनाथजी मंदिर
उदयपुर से करीब 48 किमी दूर नाथद्वारा में स्थित यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप ‘श्रीनाथजी’ को समर्पित है। मंदिर में दर्शन के समय निर्धारित झांकियों का पालन किया जाता है और देशभर से वैष्णव भक्त यहाँ आते हैं। यह मंदिर श्रद्धा, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम है।
f.) चित्तौड़गढ़ के प्रसिद्ध मंदिर
1. मीरा मंदिर
यह मंदिर भक्तिरस की प्रतीक मीरा बाई को समर्पित है, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान कृष्ण की भक्ति में बिताया। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के भीतर स्थित है और कृष्ण भक्तों के लिए एक विशेष तीर्थस्थल है। मंदिर का शांत वातावरण और इतिहास से जुड़ी कहानियाँ यहां की आत्मा हैं।
2. कालीका माता मंदिर
8वीं शताब्दी में बना यह मंदिर मां काली को समर्पित है और शक्ति की आराधना का प्रमुख केंद्र है। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 14वीं शताब्दी में पुनर्निर्मित किया गया था। दुर्गा अष्टमी और नवरात्रि में यहां विशेष मेले और अनुष्ठान होते हैं, जो भक्तों को आकर्षित करते हैं।
3. साती बीजासेन माता मंदिर
चित्तौड़गढ़ किले की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर माता बीजासेन को समर्पित है। यह स्थान न सिर्फ धार्मिक रूप से, बल्कि प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां से पूरे किले और आसपास के क्षेत्र का विहंगम दृश्य दिखाई देता है, जो मन को शांति और श्रद्धा से भर देता है।
g.) जैसलमेर के प्रसिद्ध मंदिर
1. लक्ष्मीनाथ मंदिर
जैसलमेर किले के भीतर स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी का है और जैसलमेर की धार्मिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी सरल लेकिन प्रभावशाली स्थापत्य शैली आज भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
2. चंद्रप्रभु जैन मंदिर
जैसलमेर किले में स्थित सात प्रमुख जैन मंदिरों में से एक, यह मंदिर जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु को समर्पित है। पीले बलुआ पत्थर से बना यह मंदिर अपनी अद्वितीय नक्काशी और स्थापत्य कला के लिए विश्वप्रसिद्ध है। यहां की दीवारें और स्तंभ जैन शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
3. तानोट माता मंदिर
जैसलमेर से लगभग 120 किमी दूर भारत-पाक सीमा के निकट स्थित यह मंदिर तानोट माता को समर्पित है। 1965 और 1971 के युद्धों में यहाँ गिराए गए बम फटे नहीं, जिससे यह स्थान आस्था और चमत्कार का प्रतीक बन गया। मंदिर का रख-रखाव अब बीएसएफ द्वारा किया जाता है।
h.) कोटा के प्रसिद्ध मंदिर
1. गरड़िया महादेव मंदिर
चंबल नदी के किनारे एक ऊँची चट्टान पर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। गरड़िया महादेव मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने शानदार प्राकृतिक दृश्य और शांत वातावरण के कारण पर्यटकों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है।
2. जगमंदिर मंदिर
किशोर सागर झील के बीच स्थित यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। इसकी सुंदर वास्तुकला और झील के बीच स्थित लोकेशन इसे कोटा के सबसे आकर्षक स्थलों में शामिल करती है। नौका विहार के माध्यम से इस मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
3. गणेश मंदिर
कोटा का यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है और स्थानीय लोगों के लिए अत्यंत श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ हर बुधवार और गणेश चतुर्थी के अवसर पर विशेष पूजा व दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। मंदिर का वातावरण भक्तिभाव से परिपूर्ण होता है।
i.) सीकर के प्रसिद्ध मंदिर
1. खाटू श्यामजी मंदिर
सीकर जिले के खाटू गांव में स्थित यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के अवतार श्याम बाबा को समर्पित है। यह देशभर के श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। विशेष रूप से फाल्गुन मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों की मान्यता है कि श्याम बाबा उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।
सीकर से लगभग 30 किमी दूर अरीयाल गांव में स्थित यह मंदिर देवी जीण माता को समर्पित है। यह मंदिर शक्ति की उपासना का प्रमुख केंद्र है। नवरात्रि में यहाँ विशेष आयोजन होते हैं और दूर-दूर से श्रद्धालु देवी के दर्शन करने आते हैं।
3. हरसिद्धि माता मंदिर, लोसल
लोसल कस्बे में स्थित यह मंदिर देवी हरसिद्धि को समर्पित है। यहाँ की वास्तुकला और शांत वातावरण श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों की गहरी आस्था का प्रतीक है और कई धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र भी है।
j.) भीलवाड़ा के प्रसिद्ध मंदिर
1. हरणी महादेव मंदिर
भीलवाड़ा शहर से कुछ किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। हरे-भरे पहाड़ों के बीच स्थित यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक शांति का संगम है। महाशिवरात्रि पर यहाँ विशाल मेला लगता है और हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
2. त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
यह मंदिर देवी त्रिपुरा सुंदरी को समर्पित है और शक्ति उपासकों के लिए विशेष महत्व रखता है। मंदिर परिसर में स्थित विशाल यज्ञशाला और पारंपरिक राजस्थानी स्थापत्य इसे विशिष्ट बनाते हैं। नवरात्रि में यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
3. बड़ा मन्दिर (श्री चारभुजा नाथ मंदिर)
शहर के मध्य स्थित यह मंदिर भगवान विष्णु के चारभुजा स्वरूप को समर्पित है। मंदिर की मूर्ति, विस्तृत सजावट और स्थानीय आस्था इसे भीलवाड़ा का प्रमुख धार्मिक केंद्र बनाते हैं। यहाँ हर दिन आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।