राजस्थान का अद्भुत चूहों वाला मंदिर: करणी माता मंदिर, देशनोक बीकानेर

(Karni Mata Mandir, Deshnok) जब भी चूहों के समूहों को एक साथ देखे तो कई लोगों को वह भयभीत कर देंगे| लेकिन इस मंदिर में डर का कही दूर दूर तक नामोनिशान नहीं है | इधर है तो सिर्फ श्रद्धा, भक्ति, करणी माँ का आशीर्वाद और ढेर सारे चूहे| जी हाँ हम बात कर रहे है राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किमी दक्षिण में स्थित करणी माता मंदिर(Karni mata temple) की | इस मंदिर को मध देशनोक के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। आईये विस्तार से जानकारी लेते है इस दुर्लभ मंदिर की

इतिहास और पौराणिक गाथाएं (Karni Mata Mythology)

Karni mata mandir का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन वर्तमान स्वरूप 20वीं शताब्दी में महाराजा गंगा सिंह ने करवाया। करणी माता को शक्ति की अवतार और माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। अगर हम बात करें इससे जुड़ी कथा की, तो कथा अनुसार, करणी माता ने अपना जीवन ब्रह्मचर्य में व्यतीत किया, लेकिन समाज के नियमों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने चारण वंश के देपाजी से विवाह किया। हालांकि, उनकी छोटी बहन ने देपाजी की दूसरी पत्नी बनकर वंश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी निभाई। उनके चार पुत्र हुए, जिन्हें करणी माता ने अपना स्नेह दिया।

चूहों का रहस्य: मंदिर में क्यों हैं हजारों चूहे? Sacred Rats in Karni Mata Temple

कथा उनके पुत्र समान लक्ष्मण की मृत्यु से संबंधित है। कहा जाता है कि एक दिन उनका सौतेला बेटा लक्ष्मण कपिला नामक झील में पानी पीने गया और दुर्भाग्यवश डूब गया। इस घटना से करणी माता अत्यंत व्यथित हुईं और उन्होंने यमराज से आग्रह किया कि वह लक्ष्मण को पुनर्जीवित करें।

यमराज ने पहले तो इनकार कर दिया, लेकिन करणी माता की तपस्या और शक्ति को देखते हुए उन्होंने एक समाधान निकाला। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण और करणी माता के वंशज मृत्यु के बाद चूहे के रूप में जन्म लेंगे और मंदिर परिसर में रहेंगे। जब इन चूहों की मृत्यु होगी, तो वे पुनः मनुष्य के रूप में जन्म लेंगे। इस प्रकार, करणी माता के वंशजों और अनुयायियों का यह पुनर्जन्म चक्र जारी रहेगा।

इस मान्यता के चलते आज भी मंदिर में हजारों चूहे रहते हैं, जिन्हें ‘कब्बा’ (स्थानीय भाषा में बच्चे) कहा जाता है। ये चूहे भक्तों के लिए पवित्र माने जाते हैं, और इन्हें भोजन कराना शुभ माना जाता है।

सफेद चूहों का विशेष महत्व -White Rats Karni Mata

मंदिर में रहने वाले हजारों चूहों में से कुछ सफेद चूहे भी होते हैं, जिन्हें अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये चूहे स्वयं करणी माता और उनके परिवार के सदस्यों के प्रतीक हैं।

जो भी भक्त मंदिर में सफेद चूहे के दर्शन करता है, उसे देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए श्रद्धालु विशेष रूप से सफेद चूहे के दर्शन करने की कोशिश करते हैं और उन्हें प्रसाद खिलाने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहते हैं।

इसके अलावा, मंदिर में कुछ सफेद चूहे भी देखे जाते हैं, जिन्हें करणी माता का दिव्य स्वरूप माना जाता है। कहा जाता है कि जो भी इन सफेद चूहों को देख लेता है, उसे माँ करणी माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

करणी माता कौन थीं?

करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। उनका जन्म 1387 ईस्वी में चारण समाज में हुआ था। जन्म से ही वह दिव्य शक्तियों से युक्त थीं और साधना में गहरी रुचि रखती थीं। उन्होंने सांसारिक जीवन से दूरी बनाए रखी और लोगों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

हालांकि सामाजिक नियमों के कारण उनका विवाह देपाजी नामक व्यक्ति से हुआ, लेकिन उन्होंने वैवाहिक जीवन का पालन नहीं किया और अपनी छोटी बहन गुलाब को पति के साथ रहने के लिए प्रेरित किया। करणी माता ने उनके चारों बेटों की परवरिश की और समाज के लिए अनेक कल्याणकारी कार्य किए।

उनकी शक्ति और चमत्कारों को देखते हुए लोग उन्हें माँ के रूप में पूजने लगे। उनकी ख्याति इतनी फैली कि बीकानेर और जोधपुर के कई राजाओं ने उन्हें अपनी कुलदेवी के रूप में स्वीकार किया।

मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Karni Mata Temple)

(Karni mata mandir) करणी माता मंदिर की वास्तुकला में मुगल शैली की झलक देखने को मिलती है। इसकी भव्य चांदी की दरवाजे और शानदार संगमरमर से बना प्रवेश द्वार मंदिर को अद्वितीय बनाता है। यह ऐतिहासिक मंदिर अपनी भव्यता और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।

मंदिर परिसर में प्रवेश करने पर फर्श पर बनी जटिल जालीदार नक्काशी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। Karni mata temple के गर्भगृह में करणी माता की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जिसके चारों ओर हजारों चूहों का निवास है। ये चूहे पूरे परिसर में स्वतंत्र रूप से घूमते हैं और इन्हें यहां पवित्र माना जाता है।

दर्शन समय

  • पट्ट खुलने का समय:
    • गर्मी में (Summer) – सुबह 4:00 बजे
    • सर्दी में (Winter) – सुबह 4:00 बजे
  • पट्ट बंद होने का समय:
    • गर्मी में (Summer) – रात 10:00 बजे
    • सर्दी में (Winter) – रात 10:00 बजे

कैसे पहुंचे (How to reach Karni mata temple)

यह मंदिर देशनोक में स्थित है, देशनोक आप ऐसे पहुँच सकते है 

सड़क मार्ग से

बीकानेर से देशनोक के लिए सीधा सड़क मार्ग उपलब्ध है, जिससे यात्रा सुगम हो जाती है। राज्य परिवहन की बसों के साथ-साथ निजी बस सेवाएं भी नियमित रूप से संचालित होती हैं। हालांकि, बीकानेर से देशनोक तक पहुंचने का सबसे सुविधाजनक तरीका किराये की कार लेना हो सकता है।

हवाई मार्ग से

देशनोक के निकटतम हवाई अड्डे में से एक नाल हवाई अड्डा है, जो बीकानेर से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा, जयपुर में सांगानेर हवाई अड्डा (352 किलोमीटर) और जोधपुर हवाई अड्डा (254 किलोमीटर) भी विकल्प के रूप में उपलब्ध हैं। इन जगहों से आप बीकानेर के लिए टैक्सी ले सकते हैं और वहां से देशनोक जा सकते हैं।

रेल मार्ग से

देशनोक के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन बीकानेर जंक्शन (BKN) और लालगढ़ रेलवे स्टेशन (LGH) हैं। ये दोनों स्टेशन राजस्थान और भारत के अन्य प्रमुख शहरों से व्यापक रूप से जुड़े हुए हैं।

लोग करणी माता मंदिर क्यों जाते हैं?

करणी माता मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। लोग यहां विभिन्न कारणों से आते हैं:

  • सौभाग्य और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
    Karni mata mandir की सबसे बड़ी पहचान इसकी आध्यात्मिक शक्ति और करणी माता की कृपा से जुड़ी हुई है। भक्त यहां आकर करणी माता से आशीर्वाद, सुरक्षा और मार्गदर्शन की प्रार्थना करते हैं। यह मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति हजारों काले चूहों के बीच एक सफेद चूहा देख ले, तो उसे अपार सौभाग्य और सफलता प्राप्त होती है। इसी कारण, बहुत से श्रद्धालु इस दुर्लभ सफेद चूहे के दर्शन की आशा में मंदिर आते हैं।
  • मनोकामनाएं पूर्ण करने और प्रसाद चढ़ाने के लिए
    श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए करणी माता के दरबार में मन्नत मांगते हैं और अपनी मुराद पूरी होने पर मंदिर में दूध, मिठाई और अन्य प्रसाद अर्पित करते हैं। यहां चूहों को भोजन कराना शुभ माना जाता है, और उनके द्वारा खाया गया प्रसाद भक्तों के लिए पवित्र होता है, जिसे श्रद्धालु श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करते हैं।
  • अनोखे और रोमांचक अनुभव के लिए
    मंदिर में हजारों चूहों का निवास एक अनूठी परंपरा है, जिसे देखने दुनियाभर से पर्यटक आते हैं। यह स्थान न केवल आध्यात्मिकता से जुड़ा हुआ है, बल्कि अपनी अद्भुत मान्यताओं और अनुभवों के लिए भी प्रसिद्ध है।
  • राजस्थानी संस्कृति को करीब से जानने के लिए
    करणी माता मंदिर राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और अनूठी परंपराओं का जीवंत प्रमाण है। यहां आकर लोग न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का अनुभव करते हैं, बल्कि इस क्षेत्र की विशिष्ट लोक धाराओं और मान्यताओं को भी समझने का अवसर पाते हैं।

भक्तों के लिए आस्था का केंद्र

यह मंदिर सालभर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान मंदिर में भव्य आरती और पूजन होते हैं, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने आते हैं।

(Karni mata mandir deshnok)करणी माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक अद्वितीय आस्था और मान्यताओं का केंद्र है, जहां परंपराएं और चमत्कार साथ चलते हैं।

करणी माता मंदिर फोटोज (Karni mata mandir photos)

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karni mata mandir photo 3
karni mata mandir photo 4

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  1. 1. देशनोक में करणी माता का मेला कब लगता है?

    देशनोक में करणी माता का मेला वर्ष में दो बार लगता है – पहला चैत्र नवरात्रि (मार्च-अप्रैल) और दूसरा अश्विन नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) के दौरान। इन मेलों में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

  2. 2. देशनोक में किस माता का मंदिर है?

    देशनोक में करणी माता का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है।

  3. 3. चूहों वाली माता का मंदिर कहाँ स्थित है?

    चूहों वाली माता के नाम से प्रसिद्ध करणी माता का मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक कस्बे में स्थित है।

  4. 4. करणी माता का देशनोक में क्या था?

    करणी माता एक संत और देवी दुर्गा की अवतार मानी जाती थीं। उन्होंने देशनोक में अपना अधिकांश जीवन व्यतीत किया और यहां के लोगों की भलाई के लिए कार्य किए। उनकी कृपा से यह स्थान धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया।

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