भटनेर किला का इतिहास: राजस्थान का अजेय दुर्ग

(Bhatner fort, Hanumangarh) इतिहास हर किसी पर मेहरबान नहीं होता, लेकिन जब हम बीते समय के पन्ने पलटते हैं, तो कई अनकही कहानियाँ और भूली-बिसरी गाथाएँ सामने आती हैं—कुछ ऐसी जिनसे हम अब तक अनजान रहे हैं। इन कहानियों के साक्षी होते हैं प्राचीन इमारतें और किले, जो समय के साथ भी अपने अस्तित्व को जीवित रखे हुए हैं। ऐसा ही एक गौरवशाली किला है भटनेर किला(bhatner fort)। इसका हर पत्थर, हर दीवार एक कहानी कहता है—ऐसी कहानियाँ जो इतिहास की किताबों में कम मिलती हैं, लेकिन जब जानें तो गर्व से सीना चौड़ा हो जाए।

आईये जाने ​भटनेर किले के बारे में|

भटनेर किला का इतिहास | Bhatner Fort history in hindi

राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में स्थित bhatner ka kila एक ऐसा गवाह है, जिसने समय के हर पड़ाव को अपनी दीवारों में समेटा है। सन 1805 में बीकानेर के राजा सूरजसिंह ने जैसलमेर के भाटी शासकों को पराजित कर इस किले पर अधिकार किया था। मान्यता है कि जिस दिन यह विजय प्राप्त हुई थी वह मंगलवार था—इस कारण इस क्षेत्र का नाम हनुमानगढ़ पड़ा और किले में हनुमान जी का एक मंदिर भी बनवाया गया।

यह किला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि एक ऐतिहासिक सुरक्षा बिंदु भी रहा है। भारत पर होने वाले कई आक्रमणों का मार्ग भटनेर से होकर ही गुजरता था। यही कारण है कि तैमूर, पृथ्वीराज चौहान, अकबर, कुतुबुद्दीन ऐबक और राठौरों जैसे कई शासकों ने इस क्षेत्र पर राज किया। तैमूर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-तैमूरी में भटनेर को भारत का सबसे मज़बूत किला बताया है।

रणनीतिक महत्व 

Bhatner ka kila, Hanumangarh mein घग्गर नदी के किनारे स्थित है और चारों ओर से मरुस्थल से घिरा होने के कारण इसे ‘धवन दुर्ग’ की श्रेणी में रखा गया है। यह किला दिल्ली-मुल्तान मार्ग पर स्थित था, जिससे इसका सामरिक महत्व और बढ़ जाता है। जनश्रुति के अनुसार, इस किले का निर्माण तीसरी शताब्दी के अंतिम चरण में भाटी राजा भूपत ने कराया था।

किला कुल 52 बीघा भूमि में फैला हुआ है, और इसकी दीवारों में 52 विशाल बुर्जें हैं। इसकी रचना पकी हुई ईंटों और चूने से की गई है, जो इसे स्थायित्व और मजबूती प्रदान करती है। महाराजा सूरजसिंह के इस पर अधिकार के बाद ही इसका नाम हनुमानगढ़ पड़ा और साथ ही यहां हनुमान जी का मंदिर भी स्थापित किया गया।

हमले, प्रतिशोध और वीरता 

भटनेर के इतिहास में महमूद गजनवी का भी ज़िक्र आता है, जिन्होंने 1001 ईस्वी में इस किले पर कब्ज़ा किया। इसके बाद बलबन के शासनकाल में शेरखान यहाँ का शासक था, जिसने मंगोल आक्रमणकारियों का बहादुरी से सामना किया। शेरखान की समाधि आज भी किले के भीतर मौजूद है।

सन 1398 में तैमूर ने Bhatner durg पर आक्रमण कर इसे लूटा। इसके बाद 1527 में राव जैतसी ने पहली बार इस पर राठौरों की सत्ता स्थापित की। औरंगज़ेब के काल में हमलों का सामना करने वाले राव खेतसी ने बहादुरी से रक्षा करते हुए वीरगति प्राप्त की। 1549 में ठाकुरसी ने इस किले पर अधिकार किया और लगभग 20 वर्षों तक यहां शासन किया।

अकबर और मुगलों से टकराव

अकबर के शासनकाल में एक बार जब शाही खजाना कश्मीर और लाहौर से दिल्ली लाया जा रहा था, तो भटनेर के परगना मछली गांव में उसे लूट लिया गया। यह घटना अकबर तक पहुँची और उन्होंने हिसार के सूबेदार निज़ामुल्मुल्क को bhatner fort पर आक्रमण करने का आदेश दिया। ठाकुरसी ने एक हज़ार योद्धाओं के साथ बहादुरी से लड़ा और वीरगति को प्राप्त हुआ।

1570 में अकबर ने भटनेर पर आधिकारिक रूप से कब्ज़ा कर लिया, लेकिन ठाकुरसी के पुत्र बाघा की निष्ठा और सेवा से प्रसन्न होकर उसे यह किला सौंप दिया। इसके बाद यह किला बीकानेर के शासकों के अधीन आ गया।

संस्कृति और आस्था

बाघा ने किले में गोरखनाथ का मंदिर भी बनवाया। बीकानेर के इतिहास से जुड़ी “दायलदास ख्यात” नामक तवारीख में 1597 ईस्वी की एक घटना का उल्लेख है, जब अकबर के एक कर्मचारी नासिर खान ने किले में एक दासी के साथ दुर्व्यवहार किया। इस पर रायसिंह के सेवक तेजा ने उसे पीट दिया, जिससे अकबर नाराज़ हो गया और रायसिंह को दंडित किया गया।

कभी भाटियों और जोहियों के बीच इस किले के स्वामित्व को लेकर संघर्ष हुआ करता था। अंततः 1805 ईस्वी में यह किला बीकानेर के अधीन आ गया और भटनेर को उत्तर भारत की सीमाओं का प्रहरी माना जाने लगा।

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भटनेर किले की वास्तुकला

राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित Bhatner ka kila भारत के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण किलों में से एक है। इसका प्रारंभिक निर्माण ईंट और मिट्टी से तीसरी शताब्दी के अंत में हुआ था, परंतु 14वीं शताब्दी में शेर शाह सूरी के शासनकाल में इसमें कई बड़े बदलाव और सुधार किए गए।

यह किला मजबूत विशाल दीवारों से घिरा हुआ है, जिनके बीच में नियमित अंतराल पर गोल आकार के विशाल गढ़ (बुर्ज) और कई भव्य प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। इन गढ़ों की बनावट न सिर्फ सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से प्रभावशाली है, बल्कि देखने में भी अत्यंत आकर्षक है।

मंदिर, वास्तु और स्थापत्य कला की छटा

भटनेर किला धार्मिक और स्थापत्य दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। किले के भीतर भगवान हनुमान और भगवान शिव के प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जो यहां की आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाते हैं। इसके अलावा एक पुरानी इमारत ‘जैन पसारा’ नाम से जानी जाती है, जिसमें शिलालेखों से युक्त तीन प्राचीन मूर्तियाँ हैं।

यहां शेर खान का मकबरा भी स्थित है, जो उस समय इस किले का गवर्नर था। वर्षा जल संचयन के लिए किले के भीतर 52 कुंड बनाए गए थे, जो आज भी विद्यमान हैं और उस समय की जलविज्ञान प्रणाली की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।

राजपूत और मुगल शैली का संगम

भटनेर किला राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली का अद्भुत मिश्रण है। इसकी विशाल दीवारें लगभग 52 फीट ऊँची हैं और पूरे किले में कुल 12 प्रमुख बुर्ज हैं। मुख्य द्वार पर की गई नक्काशी, भव्यता और सौंदर्य का प्रतीक है, जो आगंतुकों को अपने आकर्षण में बांध लेती है।

किले के अंदर मौजूद बावड़ियाँ (सीढ़ीदार कुंए), मंदिर और प्राचीन तोपें इस ऐतिहासिक संरचना को और भी रोचक बनाती हैं। Bhatner fort न केवल एक सैन्य किला था, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य कला का जीवंत उदाहरण भी है।

भटनेर किले का दर्शनीय समय

दिनखुलने का समयबंद होने का समय
सोमवार से रविवारसुबह 9:00 बजेशाम 6:00 बजे

किला सप्ताह के सभी दिनों में खुला रहता है। आप अपने दोस्तों या परिवार के साथ किसी भी दिन यहाँ घूमने आ सकते हैं।

भटनेर किले का प्रवेश शुल्क 

इस ऐतिहासिक एवं दर्शनीय स्थल में प्रवेश हेतु कोई भी शुल्क निर्धारित नहीं है। यहाँ आप निःशुल्क प्रवेश कर सकते हैं और दुर्ग की प्राचीन भव्यता, स्थापत्य कला तथा ऐतिहासिक महत्व को निकट से अनुभव कर सकते हैं।

भटनेर किला के आसपास घूमने योग्य प्रमुख स्थल

यदि आप भटनेर किला की यात्रा पर हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि हनुमानगढ़ केवल इस ऐतिहासिक किले के लिए ही नहीं, बल्कि अपने धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। नीचे कुछ प्रमुख स्थान दिए गए हैं जिन्हें आप अपनी यात्रा में सम्मिलित कर सकते हैं:

स्थल का नामविवरण
सिला पीर मंदिरयह एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जो स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
कालीबंगन पुरातत्व संग्रहालयहड़प्पा सभ्यता की झलक देने वाला यह संग्रहालय इतिहास प्रेमियों के लिए अत्यंत रोचक है।
ब्राह्मणी माता मंदिरएक प्राचीन मंदिर जो शक्ति उपासना का प्रमुख स्थल है।
धूना श्री गोरखनाथ जी का मंदिरयह मंदिर नाथ संप्रदाय से जुड़ा हुआ है और एक शांत आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है।
कालीबंगन पुरातात्विक स्थलसिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा रहा यह स्थल पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
भद्रकाली मंदिरमाँ काली को समर्पित यह मंदिर स्थानीय भक्तों और पर्यटकों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
श्री कबूतार साहिब गुरुद्वारायह गुरुद्वारा सिख इतिहास से जुड़ा है और एक शांतिपूर्ण स्थान है ध्यान और भक्ति के लिए।

भटनेर दुर्ग (Bhatner fort) हनुमानगढ़ कैसे पहुँचें

वायु मार्ग 

हनुमानगढ़ में कोई सीधा हवाई अड्डा उपलब्ध नहीं है। भटनेर दुर्ग के लिए निकटतम हवाई अड्डा लुधियाना हवाई अड्डा है, जो हनुमानगढ़ से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लुधियाना से हनुमानगढ़ पहुँचने के लिए आप ट्रेन, टैक्सी या बस की सुविधा ले सकते हैं।

रेल मार्ग 


भटनेर दुर्ग का निकटतम रेलवे स्टेशन हनुमानगढ़ जंक्शन है, जहाँ देश के विभिन्न भागों से नियमित ट्रेनें आती हैं।
आप भारत के किसी भी कोने से सीधी या संपर्क मार्ग से हनुमानगढ़ जंक्शन पहुँच सकते हैं और वहाँ से भटनेर दुर्ग आसानी से पहुँचा जा सकता है।

सड़क मार्ग 

हनुमानगढ़ शहर सूरतगढ़ (29 किमी), गंगानगर (35 किमी), और अबोहर (37 किमी) जैसे प्रमुख स्थानों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
इन शहरों से बस, टैक्सी या निजी वाहन द्वारा आप आसानी से भटनेर दुर्ग तक पहुँच सकते हैं।

  1. 1. भटनेर किला कहाँ स्थित है?

    भटनेर किला राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है, जो भारत के उत्तरी हिस्से में है।

  2. 2. भटनेर किला कब बनाया गया?

    भटनेर किला 16वीं सदी में, लगभग 1550 ईस्वी में बनाया गया था।

  3. 3. भटनेर किला किसने बनवाया?

    भटनेर किला राणा बहादुर सिंह ने बनवाया था, जो जैसलमेर के शासक थे। यह किला सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण था और इलाके की रक्षा के लिए बनवाया गया था।

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