(Bhangarh Fort, Alwar Rajasthan) अगर कभी किले या महलो में जाने की बातें हो, अक्सर लोगो का जवाब एक बार में ही हाँ होता है| अलवर में स्थित भानगढ़ किला उसमें से एक है| कही भी भानगढ़ किले का ज़िक्र या यहाँ पर भ्रमण की बात हो लोगो में अक्सर एक संकोच होता है| अपने भूतिया किस्से और कहानियो के लिए मशहूर इस किले के बारे में आईये विस्तार से जाने।
भानगढ़ किले (Bhangarh fort) का इतिहास
इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा माधो सिंह प्रथम ने करवाया था, जो मुगल सम्राट अकबर के प्रसिद्ध सेनापति और उसके दरबार के नवरत्नों में से एक मान सिंह प्रथम के पोते थे। कुछ ऐतिहासिक स्रोतों में यह भी उल्लेख मिलता है कि किले की योजना खुद मान सिंह ने बनाई थी।
भानगढ़ शहर कभी एक समृद्ध और भव्य नगरी थी, जहाँ लगभग 9,000 घर हुआ करते थे। यह नगर व्यापार, संस्कृति और किले की भव्यता के लिए जाना जाता था, लेकिन 1720 के बाद, यह धीरे-धीरे उजड़ने लगा और अंततः वीरान हो गया।
किले की वास्तुकला में राजपूत और मुगल शैली की खूबसूरत झलक देखने को मिलती है। लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित इस किले में कई महल, हवेलियाँ, मंदिर और प्रांगण हैं, जो इसकी ऐतिहासिक भव्यता का प्रमाण देते हैं। किले के भीतर स्थित सोमेश्वर मंदिर, स्थानीय लोगों के लिए एक पवित्र स्थल है, जो अपनी सुंदर नक्काशी और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
भानगढ़ किले (Bhangarh fort) की वास्तुकला
भानगढ़ किला न केवल अपने रहस्यमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी वास्तुकला भी राजस्थानी और मुग़ल शैलियों का एक शानदार संगम है। इस किले की रचना में उस युग की शिल्पकला, भव्यता और तकनीकी समझ की गहराई साफ दिखाई देती है।
राजा माधो सिंह प्रथम द्वारा बनवाया गया यह किला, लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से निर्मित है। इसकी दीवारें ऊँची और मज़बूत हैं, जो इसे बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई थीं। किले के मुख्य प्रवेशद्वारों में —
- लाहौरी गेट
- अजमेरी गेट
- फूलबाड़ी गेट
- दिल्ली गेट — प्रमुख हैं, जो सुरक्षा के साथ-साथ वास्तुकला का अद्भुत नमूना हैं।
किले के भीतर प्रवेश करने पर विशाल आंगन, प्राचीन गलियारे, और ऊँचे महल दिखाई देते हैं जो अब भी उस समय की राजसी भव्यता का एहसास कराते हैं। यहाँ स्थित सोमेश्वर मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, केशव राय मंदिर, और अन्य मंदिरों की नक्काशी बेहद बारीक और कलात्मक है। मंदिरों की दीवारों और स्तंभों पर बनी चित्रकारी और मूर्तिकला उस समय के कलाकारों की दक्षता को दर्शाती है।
किले के परिसर में बनीं हवेलियाँ और महल, जैसे कि नाचनी की हवेली, और झरोकों वाले भवन उस समय की रॉयल जीवनशैली और भव्यता का प्रतीक हैं। नृत्य और संगीत सभाओं के लिए बने कक्ष, राजा का दरबार, और आरामगाहें आज भी उस युग की कहानी बयां करते हैं।
यहाँ की गलियाँ और सीढ़ियाँ ऐसी बनावट में हैं कि कोई भी दुश्मन बिना शोर किए भीतर प्रवेश न कर सके। वास्तुशास्त्र के अनुसार इनका निर्माण किया गया है, जिससे सुरक्षा के साथ सौंदर्य का संतुलन बना रहे।
भानगढ़ किले से जुडी कहानी और किस्से (Bhangarh story in hindi)
हम आपका ध्यान इस ओर दिलाना चाहते हैं कि इन कहानियों का हम समर्थन या खंडन नहीं करते। इन्हें सिर्फ जानकारी के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है
– तांत्रिक का शाप – अधूरी चाहत और विनाश का संकल्प
Bhangarh fort से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कहानी एक तांत्रिक सिंघिया और राजकुमारी रत्नावती की है। कहा जाता है कि रत्नावती अद्वितीय सुंदरता की धनी थीं और उनके विवाह प्रस्ताव पूरे भारत के राजघरानों से आते थे। एक दिन जब वह अपनी सखियों के साथ इत्तर खरीदने बाजार गईं, तो एक तांत्रिक ने उन्हें देख लिया और मोहित हो गया।
उसने काले जादू से इत्तर की शीशी में मोहिनी मंत्र भर दिया ताकि राजकुमारी उस पर मोहित हो जाए। लेकिन रत्नावती उसकी चाल समझ गईं और इत्तर एक चट्टान पर फेंक दिया। जैसे ही वो चट्टान इत्तर से सनी, वह लुढ़कती हुई तांत्रिक के ऊपर जा गिरी और उसकी मौत हो गई। मरते-मरते उसने पूरे भानगढ़ को शाप दे दिया कि वहां कभी कोई इंसान दोबारा बस नहीं पाएगा। अगले ही वर्ष किले पर हमला हुआ और राजकुमारी सहित पूरा राज्य उजड़ गया।
– साधु बालू नाथ की भविष्यवाणी
एक और कहानी भानगढ़ के निर्माण से जुड़ी है। जब राजा माधो सिंह ने किले का निर्माण करना चाहा, तो उन्होंने वहां तपस्या कर रहे साधु बालू नाथ से अनुमति ली। साधु ने एक शर्त रखी कि किले की परछाई कभी उनके तपस्थल पर नहीं पड़ेगी। राजा ने वादा निभाने का प्रयास किया, लेकिन आने वाले वर्षों में जैसे-जैसे किला ऊँचा होता गया, उसकी परछाई साधु की कुटिया पर पड़ गई। कहते हैं कि साधु के श्राप से वह क्षेत्र हमेशा के लिए वीरान हो गया।
आज भी वहां कोई स्थायी छत बनती नहीं लोग कहते हैं, जो भी बनाएगा, उसकी छत गिर जाएगी।
– रहस्यमयी अनुभव और अदृश्य शक्तियाँ
भानगढ़ के खंडहरों में आज भी कई लोग अजीब आवाज़ें, फुसफुसाहटें और चीखें सुनने का दावा करते हैं। रात को किले में चलती परछाइयाँ, अचानक ठंड का अहसास और उपकरणों का खराब हो जाना यहां की आम बातें बन चुकी हैं। इन अनुभवों के चलते यह जगह भूत-प्रेमियों और एडवेंचर चाहने वालों के लिए एक खास आकर्षण बन गई है।
और दुर्गों के बारे में जाने
i.) कुम्भलगढ़ किला
– गांव की गुमशुदा आबादी
भानगढ़ गांव की एक रहस्यमयी कहानी यह भी है कि एक समय यहां की बस्ती में जीवन पूरी तरह से जीवंत था। परंतु एक दिन सभी लोग रहस्यमयी तरीके से लापता हो गए। घर तो रह गए, पर लोग जैसे भाप बनकर उड़ गए हों। आज तक यह नहीं पता चला कि वे लोग कहां गए कुछ इसे आत्मिक प्रभाव मानते हैं, तो कुछ भूख, बीमारी या पलायन।
– मंदिरों के रहस्य
किले के आसपास के प्राचीन मंदिर भी रहस्यों से अछूते नहीं हैं। स्थानीय लोग कहते हैं कि इन मंदिरों में आत्माएं भटकती हैं और रात के समय वहां जाने की हिम्मत कोई नहीं करता। कभी-कभी बिना किसी उपस्थिति के घंटियों की आवाजें, पदचाप और अजीब घटनाएं सुनाई देती हैं।
– छिपे खज़ाने और प्राचीन रिवाज़
कई लोककथाएं यह भी कहती हैं कि युद्धों और आक्रमणों के समय लोगों ने अपनी संपत्ति जमीन में गाड़ दी थी। अब तक कई खजाना खोजी इस आशा में यहां पहुंचे, लेकिन कोई साक्ष्य नहीं मिला। साथ ही गांव में कुछ प्राचीन तांत्रिक और धार्मिक अनुष्ठान भी होते थे, जिन्हें आज भी रहस्यमयी और शक्तिशाली माना जाता है।
– ऊर्जा का चक्रवात
हाल के वर्षों में कुछ पैरानॉर्मल एक्सपर्ट्स और यात्रियों ने यहां अजीबोगरीब चुंबकीय प्रभाव, तापमान में अचानक बदलाव और उपकरणों के खराब होने की घटनाएं नोट की हैं। कई लोग मानते हैं कि भानगढ़ एक ऊर्जा-विक्षोभ क्षेत्र में आता है, जो विज्ञान से परे एक रहस्य है।
भानगढ़ में रात को क्यों नहीं जा सकते?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने स्पष्ट रूप से Bhangarh fort के प्रवेश द्वार पर एक चेतावनी बोर्ड लगा रखा है जिसमें लिखा है:
“सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद भानगढ़ किले की सीमा में प्रवेश करना सख्त मना है।”
यह नियम देश के सभी ASI स्मारकों के लिए है, लेकिन चूंकि भानगढ़ को भूतिया माना जाता है, इसलिए यह जगह अंधेरा होते ही बंद कर दी जाती है।
भानगढ़ में रात को क्या होता है?
रात को Bhangarh fort में क्या होता है, यह एक रहस्य बना हुआ है। कुछ लोगों का दावा है कि उन्हें वहां पैरों की आहट, साया, और अजीब आवाजें सुनाई दी हैं। हालांकि वैज्ञानिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस रहस्य ने भानगढ़ को भारत के सबसे डरावने स्थलों में से एक बना दिया है।
भानगढ़ किले का समय (Bhangarh Fort Timings)
Bhangarh fort भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन है और यह प्रातः 6:00 बजे से सायं 6:00 बजे तक आम जनता के लिए खुला रहता है। ASI द्वारा संरक्षित सभी ऐतिहासिक स्मारकों की तरह, यह किला भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही खुला रहता है।
किले के प्रवेश द्वार पर एक सूचना पट्ट लगा हुआ है, जिस पर लिखा है:
“सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद भानगढ़ की सीमाओं में प्रवेश करना सख्त मना है।”
हालाँकि यह नियम सभी पुरातात्विक स्थलों पर लागू होता है, लेकिन भानगढ़ किले की रहस्यमयी और भयावह कहानियों के कारण लोगों ने यह मान लिया कि यह चेतावनी भूत-प्रेतों की घटनाओं के कारण है। जबकि सच्चाई यह है कि यह केवल एक सुरक्षा उपाय है, ताकि अंधेरे में किसी प्रकार की दुर्घटना या क्षति न हो।
भानगढ़ किला प्रवेश शुल्क
श्रेणी | प्रवेश शुल्क |
भारतीय नागरिक | ₹25 |
विदेशी पर्यटक | ₹200 |
वीडियो कैमरा (अतिरिक्त शुल्क) | ₹25 |
भानगढ़ कैसे पहुँचे
भानगढ़ किला राजस्थान के अलवर ज़िले में स्थित है। यहां पहुँचने के कई साधन उपलब्ध हैं:
– हवाई मार्ग से:
भानगढ़ किले के सबसे निकटतम हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो लगभग 80 किलोमीटर दूर है।
यहां से आप टैक्सी किराये पर लेकर या बस द्वारा भानगढ़ किला पहुँच सकते हैं।
– रेल मार्ग से:
भानगढ़ के सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है अलवर जंक्शन, जो किले से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अलवर रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
यहां से आप लोकल बस या टैक्सी के माध्यम से भानगढ़ जा सकते हैं।
– सड़क मार्ग से:
भानगढ़ किला सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
आप यहां अपनी निजी गाड़ी, टैक्सी या सार्वजनिक परिवहन से पहुँच सकते हैं।
यह किला जयपुर-अलवर हाईवे (NH-11A) से लगभग 15 किलोमीटर अंदर स्थित है।
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Q1: भानगढ़ का किला किसने बनवाया?
उत्तर: Bhangarh fort का निर्माण मान सिंह प्रथम ने करवाया था, जो मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। यह किला उनके पुत्र माधो सिंह के लिए बनवाया गया था।
Q2: भानगढ़ का किला कहां है?
उत्तर: भानगढ़ किला राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह जयपुर से लगभग 83 किलोमीटर और दिल्ली से करीब 235 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा एक ऐतिहासिक स्थल है।
Q3: भानगढ़ का भूतिया क्यों माना जाता है?
उत्तर: भानगढ़ को भूतिया इसलिए माना जाता है क्योंकि यहां राजकुमारी रत्नावती और एक तांत्रिक की कहानी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि तांत्रिक ने रत्नावती को वश में करने की कोशिश की और असफल होने पर किले को शाप दे दिया। तब से यहां रहस्यमयी घटनाएं होने लगीं और यह जगह भूतिया मानी जाने लगी।
Q4: भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती कौन थीं?
उत्तर: रत्नावती भानगढ़ की एक अत्यंत सुंदर राजकुमारी थीं। उनकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक फैले थे। एक तांत्रिक ने उन्हें पाने की कोशिश की और अपने जादू से उन्हें वश में करना चाहा। लेकिन राजकुमारी की समझदारी से वह बच गईं और तांत्रिक की मृत्यु हो गई, जिसने जाते-जाते किले को शाप दे दिया।
Q5: भानगढ़ की भूतिया तस्वीरें क्या सच हैं?
उत्तर: इंटरनेट पर कई ऐसी तस्वीरें हैं जिन्हें लोग भूतिया मानते हैं, लेकिन इनकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। ये तस्वीरें अक्सर अंधेरे, धुंधले या रहस्यमयी वातावरण के कारण भयावह प्रतीत होती हैं।
Q6: भानगढ़ में रात को क्यों नहीं जा सकते?
उत्तर: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के नियमों के अनुसार, भानगढ़ किला सिर्फ सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही खुला रहता है। एक चेतावनी बोर्ड पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि सूर्यास्त के बाद प्रवेश वर्जित है। इसके पीछे एक कारण सुरक्षा भी है, लेकिन किले की रहस्यमयी छवि के कारण यह और अधिक डरावना लगता है।
Q7: भानगढ़ में रात को क्या होता है?
उत्तर: यह अब तक एक रहस्य है। कुछ लोगों का मानना है कि रात में यहां अलौकिक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं, अजीब आवाजें और सायों का अहसास होता है। हालांकि वैज्ञानिक तौर पर इसका कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन यह जगह रात में न जाने की सलाह दी जाती है।